कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है : मीनार शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है “दीपगृह”। मीनार एक ऊंचा स्तंभन उमा स्थापत्य है जिसका आकार अधिकतर बेलनाकार होता है एवं ऊंचा और ऊपर की और प्याज नुमा मुकुट की तरह सजा हुआ होता है। ज्यादातर मीनार अक्सर मस्जिदों के साथ देखे जाते हैं।

कुतुब मीनार भारत देश की राजधानी दिल्ली शहर में स्थित एक मीनार एवं स्तंभ है जो दुनिया की सबसे ऊंची ईंट से बना हुआ है। कुतुब मीनार का निर्माण तेरी भी शताब्दी में यह गया था।
सन 1193 ईस्वी में इस मीनार का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। कुतुबमीनार को UNESCO के द्वारा World Heritage साइट का दर्जा दिया गया है। मीटर में कुतुब मीनार की कुल लंबाई 72.5 मीटर है और यदि हम इसके फीट की बात करें तो इसकी ऊंचाई 238 फीट है।
क़ुतुब मीनार की इमारत में एक लोहे का खम्मा बना हुआ है। उस जंग प्रतिरोधक लोहे के खंभे से वैज्ञानिक भी दंग रह चुके हैं। भूकंप एवं आंधी की वजह से कुतुबमीनार कई बार क्षतिग्रस्त हो चुका है।
जनता को स्मारक में सन 1981 से पहले प्रवेश करने की अनुमति थी। परंतु 1981 में किसी गंभीर दुर्घटना की वजह से इसके आंतरिक विभाग में जनता के पहुंच पर पाबंदी लगा दी गई है।
कुतुब मीनार की लंबाई कितनी है
कुतुब मीनार की कुल लंबाई 237.86 फीट एवं यदि हम मीटर में देखें तो इसकी लंबाई 72.5 मीटर है एवं इस मीनार में पांच मंजिलें और कुल 379 सीढ़ियां भी है। कुतुबमीनार का कुल व्यास 14.3 मीटर है एवं ऊपर के हिस्से में जाकर इसका व्यास 2.75 मीटर हो जाता है।
कुतुब मीनार के चारों तरफ दीवारों पर कुरान की आयतों एवं बेलों के फूल की बहुत ही खूबसूरत महीन नक्काशी की हुई है। दिल्ली में क़ुतुब मीनार सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त स्थलों में से एक माना जाता है।
कुतुब मीनार की इमारतों में एक लोहे का खंभा बना हुआ है जो कई बार आंधी और भूकंप की वजह से क्षतिग्रस्त हो चुका है परंतु विभिन्न शासकों के द्वारा समय-समय पर इसमें कई सुधार भी किए जा चुके हैं।
कुतुब मीनार को कब और किसने बनवाया था?
कुतुब मीनार कब और किसने बनवाया यह सवाल तो लगभग सभी लोगों के मन में आता होगा क्योंकि कुतुबमीनार भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की सबसे ऊंची मीनार है जो ईटों से बनी है। कुतुब मीनार की स्थापना सन 1193 ईस्वी में भारत के प्रथम मुस्लिम शासक सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था।
कुतुब मीनार की पहली एवं दूसरी मंजिल का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक की देखरेख में किया गया था परंतु बाद में उनकी मृत्यु हो जाने के बाद 1211 ईसवी से 1236 ईस्वी के बीच इस मीनार की तीसरी और चौथी मंजिल का निर्माण सुल्तान शमसुद्दीन इल्तुतमिश की देखरेख में पूरा हुआ था।
उसके बाद क़ुतुब मीनार में आग लगने के कारण कई चीजें टूट गई थी जिसे फिरोजशाह तुगलक ने बनवाया था एवं उसी समय कुतुब मीनार की पांचवी मंजिल का निर्माण सुल्तान फिरोज़ शाह तुगलक के शासन काल में किया गया था।
कुतुब मीनार के निर्माण में कितना लंबा समय लगा था?
क़ुतुब मीनार की स्थापना का कार्य सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक के द्वारा सन 1193 ईस्वी में शुरू किया गया था। परंतु कुतुब मीनार की केवल पहली मंजिल का निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा पूरा किया गया एवं शेष के चार मंजिलों को उनके उत्तराधिकारी के द्वारा बनवाया गया था।
यदि हम इसके समय का हिसाब लगाएं तो कुतुब मीनार के निर्माण का कार्य सन 1193 से आरंभ हुआ एवं यह कार्य 1368 तक चला जिसमें 175 वर्ष का समय लगा था। परंतु अभी भी इसका सही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि इसके बनने में कितने वर्ष का समय लगा था क्योंकि इसमें कई वर्षों के बाद कार्य पुनः शुरू किया गया था।
कुतुब मीनार को किसकी याद में बनवाया गया था?
कुतुबमीनार का निर्माण अफगानिस्तान में जाम मीनार का अनुसरण करके बनवाया गया था। कुतुब मीनार के नामकरण के पीछे दो कारण बताया जाता है
पहला इतिहासकारों का मत है, की कुतुबमीनार का नाम इसके निर्माता कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर रखा गया था परंतु कई अन्य मतों के अनुसार ऐसा कहा जाता है
कि कुतुबमीनार का नाम ट्रांस ऑक्सियाना से आए प्रसिद्ध मुस्लिम संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम पर उनके सम्मान में एवं उनकी याद में रखा गया था।
इसके अलावा कुतुबमीनार में कई ऐसी चीजें हैं एवं महत्वपूर्ण स्मारक है जो देखने योग्य है जैसे कि 1310 ईसवी में बना हुआ एक द्वार, अलाई दरवाजा, अलतमिश, कुवत उल इस्लाम मस्जिद, एवं अलाउद्दीन खिलजी तथा इमाम जामिन के मकबरे आदि।
इसके अलावा भी कुतुब परिसर में एक अलाइ मीनार बना हुआ है जो 7 मीटर ऊंचा एक लोहे का स्तंभ है एवं और भी कई चीजें आपके देखने योग्य यहां मिलेगी।
क़ुतुब मीनार से जुड़े रोचक तथ्य और रहस्य
कुतुब मीनार से जुड़े ऐसे कई रोचक तथ्य एवं रहस्यमई बातें हैं जिनके बारे में आज हम अपने इस पोस्ट में चर्चा करेंगे जैसे
- कुतुबमीनार विश्व की सबसे ऊंची मीनार है जो ईटों से बनी हुई है।
- सन 1993 ईस्वी को कुतुबमीनार को UNESCO चल विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया।
- कुतुब मीनार के भीतर एक लोहे का स्तंभ बना हुआ है जिसमें कई छिपी हुई विशेषताएं एवं रहस्य है।
- कुतुबमीनार आज जिस स्थान पर स्थित है उस स्थान पर पहले 30 जैन मंदिर बने हुए थे जिनका विध्वंस करके कुतुबमीनार तैयार किया गया।
- कुतुब मीनार के चारों और की दीवारों पर बहुत ही सुंदर सुंदर रचनाएं एवं स्थल आकृतियां बनी हुई है।
- कुतुबमीनार को बनाने वालों में एडविन लुटियंस भी थे जो ब्रिटेन के एक बहुत ही लोकप्रिय वास्तुकार थे।
कुतुब मीनार कैसे पहुंचे
यदि आप भी कुतुबमीनार जाना चाहते हैं तो यह जानना आपके लिए बहुत आवश्यक है कि क़ुतुब मीनार तक कैसे जाया जाए। यदि आपको कुतुब मीनार की लोकेशन का ही कोई ज्ञान नहीं होगा तो आप यहां कैसे पहुंचेंगे इसलिए चलिए आज हम जानते हैं कुतुबमीनार कैसे जाए।
यदि आप कुतुबमीनार मेट्रो से जाते हैं तो इसके लिए वहां पहुंचने का सबसे नजदीकी स्टेशन कुतुब मीनार है जो येलो लाइन की मदद से गुड़गांव, हुड्डा सिटी सेंटर एवं दिल्ली से कनेक्टेड है।
इसके अलावा यदि आप मेट्रो की बजाय बस से सफर करते हैं तो DTC Bus के जरिए आप कुतुब मीनार आसानी से पहुंच सकते हैं।
परंतु इस सफर के लिए आपके पास थोड़ी जानकारी होना आवश्यक है भले ही आप हुडा सिटी सेंटर से आ रहे हो परंतु यहां से आप 539 और 715 नंबर की बस में बैठकर सीधे कुतुबमीनार जा सकते हैं।
यदि आपको बस के बारे में अधिक जानकारी नहीं है तो आप महरौली वाली बस में भी जा सकते हैं क्योंकि महरौली की और जाने वाली सारी बसें कुतुब मीनार से गुजर कर जाती है।
दोस्तों हम उम्मीद करते हैं कि आज आज के हमारे इस पोस्ट में आपको कुतुब मीनार से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त हो गई होगी। यदि आपको आज का हमारा यह पोस्ट पसंद आया हो तो इसे लाइक एवं शेयर करें ताकि यह जानकारी अन्य लोगों तक भी पहुंच सके।